सजा या आत्महत्या

बच्चे स्कूल जाने से कतराते है, क्लास बंक करते है, अध्यापक से झूठ बोलते है. ऐसा क्यूँ? ये कुछ सवाल है, जो जितने छोटे है उतने ही जटिल भी. इसका कारण यह है की वे डरते है कि उन्हें सजा मिलेगी. हमारे परिवेश में यह माना जाता है की सजा जितनी अपमानजनक होगी, बच्चा उतना ही जल्दी सुधरता है. यह दौर आज भी जारी है. स्कूलों आदि में सजा देने के दो तरीके हैं:- १- शारीरिक सजाएं : (a) मुर्गा बनाना, हाथ ऊपर करके खड़ा करना, घुटने मोड़ देना और होमवर्क करना आदि (b) तेज धूप में बहार खड़ा करना, मैदान के चक्कर लगवाना (c) हाथ उल्टे करके स्केल या बेंत मरना, उंगली के बीच पेंसिल रखकर दबवाना आदि २- मानसिक सजा: (a) फाइन लगाना, क्लास से बाहर निकाल देना (b) लड़के को लड़की से या लड़की को लड़के से थप्पड़ मारना (c) जूनियर क्लास के बच्चो से सेनिअर क्लास के बच्चो के कान खिचवाना (d) क्लास में ज़मीन पर बैठाना आदि ...